मेरी ज़िंदगी का एक और किस्सा
मैं जब कॉलेज में था तब मुझे पहली बार लाइट्स करने में दिलचस्पी आई थी, नाटक बनते समय मैं अपने साथियों से कहता था कि मुझे लाइट डिज़ाइन करना है, इस तरह मेरा लाइट्स का सफ़र शुरू हुआ था।
आगाज़ में भागी हुई लड़कियां नाटक दुबारा से बन रहा था, मैने टीम से बात की और कहा मुझे लाइट डिज़ाइन करना है, ये मेरा पहली बार था जब मैने इसकी पहल की, उस वक्त मेरे मेंटॉर अंकित पांडे थे, जिनसे मैने बहुत कुछ सीखा।
फिर धीरे धीरे मैं ओर लोगो के नाटकों में लाइट्स डिज़ाइन ओर ऑपरेट करने लगा, वैसे तो मुझे एक्टिंग करना बहुत पसंद है, लेकिन कहीं न कहीं अब मुझे लाइट्स के साथ भी बहुत मज़ा आने लगा है, मैने पहली बार एक नाटक जिसका नाम bed है उसमे लाइट डिज़ाइन ओर ऑपरेट किया, डर तो लग रहा था कि मैं अकेले सब कर पाऊंगा या नहीं, मैं उस डर के साथ रहा और मैने सारा ध्यान उस नाटक में लगा दिया, कुछ शो करने के बाद मुझे महसूस हुआ कि मैं अच्छे से काम कर पा रहा हूं।
धीरे धीरे थिएटर की दुनिया में जब लोगो को पता लगने लगा कि मैं फ्रीलांस लाइट्स का काम करता हूं तो अलग अलग लोग मुझे बुलाने लगे, मुझे भी अच्छा लगने लगा कि मुझे काम मिल रहा है, यह मेरा सीखने का प्रोसेस था तो मैं खुदसे पैसे नहीं मांगता था, कई जगह तो मैने बिना पैसे के भी काम किया, मेरा ध्यान पैसा कमाने से ज़्यादा सीखने पर था।
मैं आगाज़ में फुल टाइम जॉब करता हु, उसके बावज़ूद मैं यहां से बाहर छुट्टी लेकर कई प्रोजैक्ट कर पाता हूं। यहां मुझे लाईट्स से रिलेटेड हर काम में सपोर्ट मिला है। मुझे लाईट्स से रिलेटेड कुछ सीखना होता है तो आग़ाज़ के सर्कल में कई लोग है जिनसे मैं आसानी से कांटैक्ट करके सीख पाता हूं।
हाल ही मे मैने एक नाटक Morning of Uma and Urvashi के लिए लाइट्स डिज़ाइन एंड ऑपरेशन किया था, नाटक सुंदर था, डायरेक्टर और मैने मिलकर लाइट्स डिज़ाइन किया था, शो के पहले कई बार डिज़ाइंस बदले।
कई बार जब डायरेक्टर का बजट कम होता है तो कॉम्प्रोमाइज़ करना पड़ता है, लेकिन ये एक्सपीरियंस बहुत मज़ेदार होता है, और सबसे ज़रूरी था मेरे लिए ये जानना कि कम लाइट्स के साथ भी कैसे खेला जा सकता है, ये सब सीखने और करने में बहुत मज़ा आता है।