कहानियों की दुनिया
मैंने और इस्माइल ने हाल ही में एक 4 दिन का workshop किया, जो एक think arts project का हिस्सा था। ये workshop हमने अपने निजामुद्दीन बस्ती के learning centre में ही किया, उन ही बच्चों के साथ जिनके साथ हम पिछले कुछ महीनों से sessions कर रहे हैं। पर ये हमारे सामान्य workshops से अलग था। इन sessions को मंजिरी बाहर से observe कर रहीं थीं , ताकी वो बच्चों के कही गयी बातों और कहानियों को लेकर एक performance बना पायें। तो इन workshops का theme भी पहले से decided था।
हमने इस workshop में बच्चों के साथ ख़ुद के बारे में अपना नज़रिया, और दुनियां को देखने-समझने के नज़रिये पर काम किया। Session में हमने सफ़दर हाश्मी की कविता ‘दुनियां सबकी’ और गायत्री बाशी की कहानी ‘मीनू और उसके बाल’ ka सहारा लिया, ताकि बच्चे दुनियां और खुद के बारे में reflect कर पाए। हमने पहले कहानी पढ़ी और उसके बारे में अपनी अपनी कहानी सबके साथ share की। फिर हमने उस पर मिलकर नाटक बनाया और उसके ऊपर group के साथ discussion किया। इन activities में सारे बच्चों ने अच्छे से participate किया और अपने अपने thoughts को share किया। फिर हमनें कविता को पढ़ा, उसके बारे में चर्चा की और नाटक बना कर सबको दिखाया। इस तरह से हमारा वो workshop ख़तम हुआ।
उसके बाद मैंने और इस्माइल ने यह decide किया की हम बच्चों के साथ अपने बाकी sessions में भी कहानी पढ़ा करेंगे क्यूंकि बच्चों को ये बहुत पसंद आया था, और वे बहुत focus होकर सुनते हैं और खुद की कहानी बना पाते है | workshop से लेकर अब तक हम रोज़ एक कहानी पढ़ते हैं और उसके ऊपर discussion करते हैं और बच्चों की खुद की बनायीं कहानियों को सुनते हैं। अब हमारे लिए उन्हें focus करवाना और आसान हो गया है| सब बच्चे book reading में बहुत engage हो जाते हैं। बच्चे रोज़ अब नए नए कहानी सुन कर नए नए कहानियां खुद भी बना पाते हैं और उसको नाटक के रूप में भी सबके साथ share करते हैं |